जो श्रेष्ठ मनुष्य पापमोचनी एकादशी का व्रत करते हैं, उनका सारा पाप नष्ट हो जाता है ।
5 अप्रैल शुक्रवार को श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर( तिरुपति बालाजी) मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष की पाप मोचनी एकादशी व्रत के उपलक्ष्य पर विशेष अनुष्ठान होंगे ।
ऐसे 4 अप्रैल गुरुवार को एकादशी के पूर्व तिथि दशमी में ही अनुष्ठान की प्रक्रिया शुरू की गई। श्रीभगवान का नित्याराधन आदि पूजा स्तुति के पश्चात् उद्यास्तमन सेवा के अंतर्गत तिरुमञ्जनानुष्ठान हुआ ।भव्य श्रृंगार निवेदन करके महाआरती, गोष्ठी, शठारी और स्तवन किया गया ।शुक्रवार को भी पूरे पाञ्चरात्र आगम विधि से महाभिषेक आदि अनुष्ठान संपादित किये जायेंगे।
यह पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से पिशाच – योनि में कभी नहीं जाना होगा और दिव्य रूप को पाकर अंत समय में स्वर्गलोक की प्राप्ति होगी । जो श्रेष्ठ मनुष्य पापमोचनी एकादशी का व्रत करते हैं उनका सारा पाप नष्ट हो जाता है, सहस्त्र गोदान का फल मिलता है तथा यह व्रत बहुत ही पुण्यमय है ।
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एकादशी के पूर्व तिथि दशमी ,दिन गुरूवार को श्रवण नक्षत्र का योग एवं त्रिवेणी नेत्र दर्शन का दिन होने से इस दिन के उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक के यजमान श्री महावीर प्रसाद पत्नी निर्मला नारसरिया एवं श्री राजू चौधरी पत्नी मोना चौधरी दोनों ही यजमान परिवार राँची निवासी हुए ।