पुनर्वितरण पर मजबूत नीतिगत जोर से भारत को अत्यधिक गरीबी को खत्म करने में मदद मिली है: अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स
अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन ने कहा कि भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है, जिसे गरीब लोगों की संख्या की दृष्टि से गरीबी अनुपात में हुई तेज कमी और घरेलू खपत में दर्ज भारी वृद्धि के माध्यम से समझा जा सकता है। सुरजीत भल्ला और करण भसीन द्वारा लिखित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पुनर्वितरण पर सरकार के मजबूत नीतिगत जोर का परिणाम है, जिससे पिछले दशक में भारत में मजबूत समावेशी विकास हुआ है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी को खत्म करने में उच्च विकास और असमानता में हुई बड़ी गिरावट ने साथ मिलकर योगदान दिया है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में गरीब लोगों की संख्या विश्व बैंक के अनुमान से काफी कम है। क्रय शक्ति समता 1.9 डॉलर के स्तर पर, गरीब लोगों की संख्या की दृष्टि से गरीबी अनुपात 2011-12 के 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2 प्रतिशत रह गया है। लेखकों की राय है कि “सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित कार्यक्रमों की एक विस्तृत व विविध श्रृंखला के माध्यम से पुनर्वितरण पर मजबूत नीतिगत जोर” को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत उच्च खपत वृद्धि को आश्चर्य से नहीं देखा जाना चाहिए।
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ब्रुकिंग्स की टिप्पणी में कहा गया है कि इन सार्वजनिक कार्यक्रमों में शौचालयों के निर्माण से संबंधित एक राष्ट्रीय मिशन तथा सभी के लिए बिजली एवं खाना पकाने के आधुनिक ईंधन और हाल ही में पाइप से पानी की सुलभता सुनिश्चित करने के प्रयास शामिल हैं। 15 अगस्त, 2019 तक भारत के ग्रामीण इलाकों में पाइप से पानी की सुलभता 16.8 प्रतिशत थी, जबकि वर्तमान में यह 74.7 प्रतिशत है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत, देश के 112 जिलों की पहचान सबसे कम विकास संकेतक वाले जिलों के रूप में की गई थी। सरकारी नीतियों द्वारा इन जिलों को लक्षित करके उनके विकास पर स्पष्ट रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है।
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इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अत्यधिक गरीबी का उन्मूलन एक उत्साहजनक बदलाव है जिसका वैश्विक स्तर पर गरीबी की गणना की दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसका मतलब यह भी है कि अब समय आ गया है कि भारत भी अन्य देशों की तरह उच्च गरीबी रेखा के पार पहुंच जाए। रिपोर्ट में कहा गया है, “उच्च गरीबी रेखा की दिशा में बदलाव खासतौर पर इच्छित लाभार्थियों की बेहतर पहचान और वास्तविक गरीबों को अधिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को फिर से परिभाषित करने का अवसर प्रदान करता है।”