नई दिल्ली : ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा बसंत पंचमी पर इस बार तीन शुभ योगों में होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी, बुधवार को मनाया जा रहा है। ये पर्व शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन माता सरस्वती की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है। ज्योतिषियों की मानें तो इस बार बसंत पंचमी बहुत ही खास रहने वाली है। इस साल बसंत पंचमी पर एक नहीं तीन शुभ योग बनने जा रहे हैं। पहला योग रवि योग है। इस साल बसंत पंचमी की शुरुआत रवि योग से होने जा रही है। इस दिन रवि योग सुबह 10 बजकर 43 मिनट से लेकर 15 फरवरी को सुबह 7 बजे तक रहेगा। इसके बाद रेवती नक्षत्र का योग बन रहा है। इस बार बसंत पंचमी रेवती नक्षत्र में मनाई जाएगी जो कि बहुत खास माना जा रहा है। रेवती नक्षत्र 13 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा और समापन 14 फरवरी को सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
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बसंत पंचमी के लिए तीसरा योग अश्विनी नक्षत्र का है। इस दिन अश्विनी नक्षत्र सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा और समापन 15 फरवरी को सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। दरअसल माघ शुक्ल पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। बसंत पंचमी 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर इसमा समापन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर होगा। इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजे से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। मुहुर्त के अनुसार ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा के लिए सिर्फ साढ़े पांच घंटे का समय रहेगा।
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बसंत पंचमी के दिन सवेरे-सवेरे स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करके पूरे विधि विधान के साथ मां सरस्वती की आराधना करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें। उनकी पूजा में रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले या सफेद रंग का फूल, पीली मिठाई आदि चीजों का प्रयोग करें। इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें और पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को रखें। इस दिन से बसंत का आगमन हो जाता है इसलिए देवी को गुलाब अर्पित करना चाहिए।